SAMEER - The Power Of Name ( समीर - द पॉवर ऑफ़ नेम )
WHAT'S IN A NAME विलिअम शेक्सपियर ने अपने कालजयी नाटक रोमियो जूलिअट में लिखा था कि 'नाम में क्या रखा है'। पर तुलसी ने मानस में बार बार नाम कि महिमा बताई है। 'राम से बड़ा राम का नाम ' नाम की अपनी पॉवर है, अपनी शक्ति है। दरअसल नाम वो है जिसे हम बार बार सुनते हैं और यदि हमें अपने नाम का महत्व मालूम हो तो जब जब हम उसे सुनेगें, हर बार वो हमारे अवचेतन मस्तिष्क में SINKDOWN होने लगता है। और जितना हमारा अवचेतन उसे WITH FULL CONVICTION ग्रहण करता है, उतना ही हमें वह फल देने लगता है। समीर की कहानी भी यही कहती है। समीर को बताया जाता है कि उसका नाम हनुमान का नाम है, और वह वो सब कर सकता है, जो हनुमान ने किया। WITH FULL CONVICTION समीर ने इसे स्वीकार किया और और वह कर दिखाया जो असम्भव था। माना कि समीर की कहानी काल्पनिक है पर METHOD काल्पनिक नहीं, प्रक्रिया काल्पनिक नहीं। यह सतत है, सनातन है, यूनिवर्सल है कि जो स्वीकार करेगा, बार बार सुनेगा, दोहराएगा वो कुछ भी असम्भव कर जायेगा।