यह पुस्तक मां के ऊपर लिखी गई है। एक माँ और बच्चे का रिश्ता बाकि सब रिश्तो से अलग होता है। एक मां ही है जिससे हमारा सबसे पहला रिश्ता बनता है। हम जानते है कि हमारी मां हमारे लिए क्या कुछ नहीं करती। आज के समय में हम अपनी जिंदगी में इतना व्यस्त हो जाते हैं की हमारे पास हमारी मां के लिए समय ही नहीं होता। तो इस पुस्तक के द्वारा कुछ लेखक अपनी मां के प्रति प्रेम को शब्द में व्यक्त कर रहे हैं।
शायद जो भी मां इस पुस्तक को पढ़ेगी तो उनकी आखों मे आँसू आ जाएगे क्योंकि यह पुस्तक सभी ने अपनी मां के लिए दिल से लिखी है और दिल से लिखा हुआ दिखावटी नहीं होता, उस लेख में हकीकत छुपी होती है, प्रेम छुपा होता है।
सह लेखक:
किरणपाल सांगवान
निखिल चावड़ा
आशना चांद
निर्दोश कुमार जैन
मानसी शर्मा
चरिश्मा जे. रामचंदानी
विजय शिंदे पाटिल
टीकाराम लोधी 'सहज'
आमिर मासीम