Good, Evil and Supernatural

By ANURAG S PANDEY

Good, Evil and Supernatural
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कहानियों के कुछ अंश…


मैंने मुख्य दरवाजे को हिलते हुए देखा। उसी क्षण गाय के घर में गाय को उछलते हुए देखा। मुख्य दरवाजे से स्टोर-रूम तक के सभी दरवाजे एक के बाद एक हिलते चले गए। अंत में स्टोर-रूम का दरवाजा जोर से हिला। हवा की एक लहर स्टोर-रूम में घुस गयी। गाय ने कुछ दिनों पहले ही एक बछड़े को जन्म दिया था। बछड़ा स्टोररूम में बंधा हुआ था। बछड़ा जो कि सोया हुआ था अचानक उठकर उछलने लगा। हम भाई–बहन डर गए। तभी मैंने अपनी गर्दन के चारो तरफ हवा को दबाव के साथ घूमते हुए महसूस किया। मैं डर गया कि क्या गुरू अखंडानंद मेरा गला दबाना चाहते हैं?

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अचानक वह चिल्लाई, “मैं अपने ए.पी. को नहीं छोड़ सकती! ए.पी. सिर्फ मेरा है! ए.पी. मेरा है।” मैंने कहा, “यही उससे कहो!” उसने डरते हुए कहा, “नहीं! वह बहुत डरावनी है!” मैंने पूछा, “क्या उसके लंबे–लंबे दांत हैं? क्या उसका चेहरा भयावह है?” उसने कहा, “नहीं! वह खुबसूरत है। लेकिन मुझे उससे डर लग रहा है।” मैंने पूछा, “उम्र कितनी है उस औरत की?” उसने कहा, “25 साल की होगी। वह मुझे ए.पी. को छोड़ने के लिए कह रही है। ए.पी. को बुलाओ। मुझे अपने ए.पी. के पास जाना है।

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उसके चेहरे के भाव पूरी तरह अजनबी व खतरनाक थे। पता नहीं क्यों मेरी रीढ़ के निचले हिस्से में डर की सिहरन दौड़ने लगी। मैंने खुद को संभाला और उससे पूछा, “क्या हुआ? सु? (मैं उसे सु कहकर पुकारता था।)” वह कुछ इस तरह मुस्कुराई मानो मेरा मजाक उड़ा रही थी। फिर उसने दोस्ती भरे मगर कठोर भाव से कहा, “तुम उसे बचा नहीं पाओगे। मैं सुनीता को बूँद–बूँद कर मार दूँगी। कुछ नहीं कर पाओगे तुम।

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वह मंगलवार की रात थी। मैं ध्यान लगाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठा था। तभी मुझे मेरे आस–पास से पायल की आवाज आने लगी, मानो पायल पहने हुए कोई लड़की या महिला आकर मेरे आस–पास चल रही हो। मैं बिना डरे ध्यान लगाए बैठा रहा। लेकिन कुछ समय पश्चात नूपुर की आवाज मेरे बहुत पास आ गयी, मानो वह मेरे आसन पर चढ़ गयी हो। मतलब वह मेरे बेहद करीब थी। मैं फिर भी उठा नहीं। तभी बंद कमरे में जाने कहाँ से और कैसे हवा का एक झौंका आकर मुझसे लिपटने लगा। हवा का स्पर्श बड़ा ही मस्ती भरा, बड़ा ही मनमोहक था। मैं उसे खुद से दूर करने में असफल रहा।

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फिर से मुझे ऐसा लगा कि मैं जंगल में लेटा हुआ हूँ। तभी मैंने एक खूंखार भेड़िये को करीब दस फीट दूर से अपनी तरफ सधे हुए कदमों से बढ़ते हुए देखा। वह मेरे सिर की तरफ बढ़ रहा था। उसके चलने से नीचे गिरे हुए सूखे पत्तों से खड़खड़ाहट की आवाजें आ रही थीं। भेड़िया मेरे बाएं कान के पास आकर भयानक अंदाज में गुर्राया। डर की ठंडी लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गयी। भेड़िया मेरे बाएं कान से मेरे शरीर में घुसने लगा।

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कुछ मिनट के पश्चात मैंने अपनी छठी इंद्री से देखा कि आसमान से एक दिव्य रथ नीचे उतर रहा है। रथ नीचे उतरता हुआ हमारे मुहल्ले की गलियों की तरफ बढ़ रहा है। उस रथ में सफेद घोड़े लगे हुए हैं। रथ पर गुरू अखंडानंद सवार हैं। मैंने रथ को हमारे घर की तरफ आते हुए देखा।

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उस रात अधजगी नींद, व अधजगे सपने में अचानक मैं खुद को बहुत हल्का महसूस करने लगा। एक अजनबी साँवली सी लड़की मेरे सपने में आई। मगर उसका मेरे पास होना अपनेपन से भरा हुआ था। उसने प्रेम से मेरा हाथ थामा और मुझे अपने साथ लेकर उड़ चली। वह मुझे लेकर एक पेड़ की ऊँची डाल पर पहुँच गयी। सपने में मुझे एहसास था कि वह एक भूत है। लेकिन मुझे जरा भी डर नहीं लग रहा था। बल्कि मैं भी उसके साथ बहुत अपनापन महसूस कर रहा था। उसने अपनी उपस्थिति से मुझपर ढेर सारा प्यार उडेला। जब सुबह मैं उठा तो काफी प्रसन्न व उड़ता हुआ सा महसूस कर रहा था।

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वह सड़क पार करने लगा। जैसे ही वह सड़क के बीच पहुँचा, वह सैकड़ों फीट लंबा हो गया। और वह सड़क के दूसरी ओर के मैदान की तरफ बढ़ चला। बड़ा सा मैदान कई बस्तियों तक पहुँचता था। वह केवल दो–तीन कदमों में ही लंबा मैदान पार करके किसी बस्ती में घुस गया और मेरी आँखों से ओझल हो गया।

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तभी एक भयानक अनुभव ने मुझे हिला कर रख दिया। मैंने देखा कि मेरे आस–पास की सभी वस्तुएँ जैसे जल रही थीं। उन सबसे गर्म तरंगे निकल रही थीं जैसे तपते हुए लाल लोहे से निकलता है या बहुत ज्यादा गर्म हो जाने पर तवे से निकलने लगता है। चीजें धुँधली भी पड़ने लगीं थीं। हर एक चीज, इंसान, जानवर सबकुछ पिघलते हुए व धुआँ छोड़ते हुए दिख रहे थे।

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I hope you would enjoy reading this book. Your invaluable reviews requested. –ANURAG PANDEY

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