Hindi Geetonki Saragam For Harmonium Hindi Voi-1

By Dr Ishwar bhai Joshi

Hindi Geetonki Saragam For Harmonium Hindi Voi-1
Available for 0.99 USD

डा. ईश्वर भाई जोषीजी एक मानस शास्त्र विशारद (डाक्टर) है। उनका आध्यात्मिक ग्यान म्युजिक थेरपी को अलग उंचाई पर लेकर जाता है। विश्व के प्रमुख धर्म और संगीत संस्कृतियोंका उनका गहरा अध्ययन है।

डा. ईश्वर भाई जोषीजी के मार्गदर्शन के अनुसार अगर कोई हार्मोनियम, की बोर्ड, गिटार, पियानो बजाना शुरू करे तो एक घण्टे मे आप गाना बजाना सीख सकते है। अगर आपका कोमन सेंस अच्छा है तो सिर्फ दस मिनट मे ही आपको सुर मिलेंगे। पिछले 32 सालोंमे मानसिक तंदुरुस्ती के लिए म्युजिक थेरपी के अनेक प्रयोग उन्होने हजारो लोगो पर किए। उसमे साज बजाने के कुछ आसान तरीके उन्होने ढूंढकर निकाले।

उनकी रिसर्च के अनुसार, नये सीखनेवाले कलाकारोंको पाश्चात्य नोटेशंस को सीखने मे भारी कठिनाई होती है। जिससे सुर पकडना मुष्किल होता है। क्योंकि हिंदुस्तानी संगीत का मूल, राग और सप्त सुर है। जिसमे गायकी और बोल (लिरिक्स) महत्वपूर्ण होते है।

पाश्चिमात्य संगीत मे पांच सूर होते है। जिसमे शोरगुल (ओर्केस्ट्रा) और बिट्स को महत्व होता है। गायकी और आलाप नही होते। जिस कारण पाश्चिमात्य नोटेशंस से हिंदी गाने सिर्फ 80% ही सुर पकड पाते है। जिससे सुननेवाले को गाने का सम्पूर्ण आनंद नहीं आता।

यह फर्क पाश्चात्य भाषा और हिंदुस्थानी भाषा में भी है। हम हिंदुस्थानी जैसे बोलते हैं, वैसे ही लिखते है। हमारी सुनने, बोलने, लिखने की क्षमता युरोपियंस से अति विकसीत है। उनके लेंग्वेज मे स्पेलिंग और उच्चारण मे बहुत फर्क होता है। करीब बीस प्रतिशत शब्दोंका उच्चारण वो एक समान ही करते है। उनकी भाषा और संगीत बजता कुछ अलग है और वो लिखते कुछ अलग हैं।

पाश्चात्य नोटेशंस का उदाहरण

E~~   GE~ C   D  DFD *A# *A#CE   DF   E 

pyar  diwana   ho ta_hai    mastana    hota hain


हिंदुस्तानी सरगम का उदाहरण

ग~~   पग~ सा   रे  रेमरे *नि *निसाग   रेम   ग

प्यार   दीवाना     हो ता है  मस्ताना       होता  है


अपनी इस किताब मे सरगम मिलेगी, नोटेशंस नही, कृपया ध्यान रहे।

प्रथमत: जान लिजीए 'सरगम' क्या होती है?

जैसे कम्प्युटर कि अपनी 'लेंग्वेज' होती है वैसे हर साज (म्युजिक इंस्ट्रुमेंट) कि अपनी 'लेंग्वेज' होती है|

जैसे कि,

'छुकर मेरे मनको किया तूने क्या इशारा..' ये हुये गाने के बोल.. तो कोई इसे ऐसा गुनगुनायेगा,...

ना ना नाना नानाना नाना नाना ना ना नाना...  

"गग रेसा नि*नि*रे,प*ध*नि*नि*सारेगसा"

तो 'सा रे ग म प ध नि सा' इन सुरोंको प्रमाण मानकर जब आप कोई भी साज बजाते है तो गाने कि धुन पर आपके मन मे बोल आकार लेने लगते है।

'छुकर मेरे मनको किया तूने क्या इशारा..

किसी भी गीत के दो हिस्से होते है, पहला होता है, मुखडा यानि 'हेड' जो कि दो लाईन का होता है|

और दूसरा होता है अंतरा यानि के 'बॉडी'। किसी भी गीत में दो या तीन स्टॅंझा होते है। तो टेंशन मत लिजिये|

कोई भी साज एक ही स्टांझा बजाता है। उसे बाद मे वो रिपिट करता रहता है।

उदा. "पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा" इस गाने कि सरगम को आपने देखा तो

 "धध पम प सारे म निधप"


इतना ही तयार किजीए और उसे दो बार बजाईये तो, अपने आप

"पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा" बजेगा।

सासासा-सारेसा- सासासा-सारेसा- मम गरे रे गरे ग म


इतना दो बार बजाईये तो दो लाईने तैयार...  


"बैठे हैं मिल के, सब यार अपने सबके दिलों में, अरमां ये है,

वो ज़िन्दगी में, कल क्या बनेगा हर इक नजर का, सपना ये है.. "

या, दूसरा उदाहरण,


दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर, यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर

सा म म म म म म म म म म पधसां, म म म म म म म म म म पधसां

रखूँगा मैं दिल के पास, मत हो मेरी जाँ उदास

सांरेंरेंरें सांध मप~, पधध पध पमम


मजेदार बात तो यह है, कि जिस व्यक्ति ने पहले गिटार का पेटर्न बनाया वह "लेफ्टी" था। उसेही लाखो "राईटी" लोग सीखने का प्रयास करते है। उसे डा. जोषीजी ने दाहिने हाथ से सीखने वालों के लिए सीधा कर दिया है। केवल सरगम ही नही अलग अलग साज बजाने के तरिके आप इस किताब मे जानेंगे।

यह किताब नए सीखनेवाले कलाकारोंके लिए है, जो कला की कद्र करते है।

अब जानिये, कि गीत बजाने से पहले आपको क्या करना है....

साज की तैयारी और अपनी तैयारी..

(उसके लिए इस किताब को आपको खरीदना होगा, किताब खरीदना यह गुरू दक्षिणा देने जैसा है। अगर आप कलाकार है और कला की इज्जत करते है, तो इस किताब को सम्भालकर रखेंगे।)





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