Rang Birangee Prakrti

By Manju Patel

Rang Birangee Prakrti
Available for 1.16 USD

दरिया मैले, नदियां मैली, मैले पर्वत सागर।                                  

माटी मैली, पवन है मैली, मैला सब कुछ भू पर।

अंतरिक्ष में मलबा फैला, इतने छोड़े उपग्रह।

चांद न छोड़ा, मंगल न छोड़ा, पहुंच बन रही हर ग्रह,                     

करके मैली सारी सृष्टि, क्या अब तुम दम लोगे?                             

सबसे बुद्धिमान प्राणी तुम, कब किसको बख़्शोगे।

धरा ना छोड़ी साफ जिन्होंने, क्या अन्यत्र गंदगी नहीं करेंगे।              

धन के भूखे, रफ्तारी विकसित ये“ क्या विनाश ही शेष रखेंगे?

इस सुंदर ब्रम्हांड को कुरूपता का जामा पहनाने से बेहतर इसके सौंदर्य को संचित रखा जाता, इसे सजाया, संवारा जाता, तो जीवमात्र का संरक्षण और कल्याण संभव हो सकता था। अब भी सचेत हुआ जा सकता है, संकल्प, सिद्धांत और प्रतिबद्धता के द्वारा प्रकृति और पर्यावरण के हित में आओ हम इसके रक्षार्थ संकल्प करें, संकल्प करें कि, हम इसे हर बाधा से बचाएंगे।

“वयं रक्षामः“

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