आजादी के अमृत महोत्सव के इस पावन अवसर पर, इस पुस्तक के माध्यम से डॉ. लक्ष्मी रस्तोगी जी ने देशवासियों को उन क्रांति वीरों और वीरांगनाओ की शौर्य गाथाओं से परिचित कराने की एक छोटी सी कोशिश की है, जिनके अदम्य साहस, त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण हम क्रूर ब्रितानी शासन की दासता से मुक्त होकर स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र हवा में सम्मानपूर्वक साँस ले सके।
आजादी के महान यज्ञ में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाली ऐसी सभी पुण्यात्माओ को प्रतिदिन प्रातः स्मरण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करना हम सभी भारतवासियों का न केवल नैतिक दायित्व है वरन् उनके प्रति यही हमारी सच्ची श्रधान्जली होगी---
"आओ झुककर नमन करें हम उनको,
आजादी के लिये जिन्होंने अपना खून बहाया था।
ख़ुशनसीब थे वे वीर बहादुर क्रांति के योद्धा,
जिनको आजादी की खातिर आत्मोत्सर्ग सुहाया था।"